इस विधि से मुर्दे को जिंदा करने का दावा, देखें फिर क्या हुआ...।

 

इस विधि से मुर्दे को जिंदा करने का दावा, देखें फिर क्या हुआ...।

इस विधि से मुर्दे को जिंदा करने का दावा, देखें फिर क्या हुआ...।

 शहडोल। मध्यप्रदेश में अंधविश्वास का एक और मामला सामने आया है। यह मामला शहडोल के बुढार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां कुएं में गिरने से 10 साल के बालक की मौत हो गई थी। इसके बाद उसे दोबारा से जिंदा करने के लिए अस्पताल में अजीबोगरीब हरकतें शुरू हो गईं। पूरा अस्पताल दहशत में आ गया।

SHAHDOL
 

मध्यप्रदेश के शहडोल के बुढार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का यह मामला है। धनपुरी थाना क्षेत्र के वार्ड 15 में एक साल का बालक हिमांशु साइकिल चला रहा था। अचानक साइकिल से उसका पैर फिसल गया और वो अनियंत्रित होकर गहरे कुएं में गिर गया। बारिश होने की वजह से उसमें काफी पानी भरा हुआ था, लेकिन पकड़ने का कोई भी साधन नहीं होने के कारण हिमांशु पानी में डूब गया। स्थानीय लोगों ने जैसे-तैसे उसे कुएं से बाहर निकाला। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।

 

जीवित होने की संभावना में कराया तंत्र-मंत्र
अस्पताल में बच्चे की मौत हो गई। इसे बाद परिजन और रिश्तेदार बच्चे को मृत मानने को तैयार नहीं थे। परिजनों ने बच्चे के जीवित होने की संभावना जताते हुए तंत्र-मंत्र शुरू करवा दिया।

 


बकायदा अस्पताल प्रशासन से ली अनुमति

परिजनों ने इसके लिए अस्पताल प्रबंधन से अनुमति ली। इसके लिए सीएमओ से भी अनुमति ली गई। जिस पर मृत बच्चे के परिजनों को अस्पताल परिसर में तंत्र प्रक्रिया करने की अनुमति दे दी गई।


नमक के ढेर पर सुलाया और किया ऐसा काम

बुढार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उस समय सनसनी फैल गई, जब अस्पताल के कॉरिडोर में एक मृत बच्चे को लेटा दिया गया। उसके ऊपर ढेर सारा नमक डाल दिया गया। काफी देर तक तांत्रिक क्रिया की गई। तांत्रिकों का दावा था कि यह मुर्दा थोड़ी देर में जीवित हो जाएगा। यह नजारा देखने के लिए कई लोग दहशत में अस्पताल के कॉरिडोर में मौजूद रहे।

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वायरल हो गई तस्वीरें
बच्चे को जिंदा करने की खबर को सोशल मीडिया तक आने में जरा भी देर नहीं लगी। थोड़ी देर में ही बच्चे को जिंदा करने के लिए नमक के ढेर पर लेटाने की तस्वीरें वायरल हो गई।


पुलिस और डाक्टर भी थे मौजूद

अस्पताल का नजारा बिल्कुल भी बदल गया था। जो डाक्टर इलाज करते थे वे तंत्र-मंत्र प्रक्रिया अपने सामने होता देख रहे थे। बकायदा सीएमओ ने अस्पताल परिसर में यह प्रक्रिया करने की अनुमति तक दे दी थी। इसके अलावा घटना को देखने के लिए पुलिस बल भी मौजूद था, लेकिन कोई भी इस प्रकार से अंधविश्वास को रोकने में कामयाब नहीं हो पाया।

शहडोल में पहले भी सामने आए कई मामले
इससे पहले शहडोल में आदिवासी अंचलों में अंधविश्वास के कई मामले सामने आ चुके हैं। वे बच्चों को अस्पताल की बजाय तांत्रिकों के पास पहुंच जाते हैं। जून माह में ही बुखार और दर्द से तड़पते मासूम को परिजनों की ओर से गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया था।

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